बिहार बोर्ड Class 11th Hindi
Chapter -10 सूर्य
लेखक - ओदोलेन स्मैकल
बिहार बोर्ड कक्षा- 11वी हिंदी दिगंत भाग-01 चैप्टर(सूर्य) लेखक परिचय, सारांश, प्रश्न उत्तर
जीवन-परिचय - यूरोपीय विद्वान ओदोलेन स्मेकल का जन्म 18 अगस्त 1928 ई. में यूरोप के चेकोस्लोवाकिया देश के ओलोमोउत्स नगर से सटे 'लोशोब' गाँव में हुआ था।
उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा चेकोस्लोवाकिया की राजधानी में प्राप्त की। उसके बाद उन्होंने प्राहा के चार्ल्स विश्वविद्यालय से हिंदी में एम.ए. तथा पीएच.डी. की उपाधि ली। इसके बाद वहीं से 'ग्राम उपन्यास' तथा अनुकरणात्मक शब्दों पर शोध कार्य भी पूरा किया। वे कई वर्षों तक प्राहा विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग में प्राध्यापक के रूप में कार्य करते रहे। इसके उपरांत दस से अधिक वर्षों तक स्वदेश के भारत विद्या विभागाध्यक्ष पद को सुशोभित करते रहे। उन्होंने संसार के कई देशों के साथ-साथ भारत की भी अनेक बार सांस्कृतिक यात्राएँ कीं। इन यात्राओं के माध्यम से उन्हें भारत के अनेक विशिष्ट व्यक्तियों कवियों, हिंदी लेखकों एवं राज नेताओं से प्रत्यक्ष संपर्क करने का अवसर मिला। ओदोनेल स्मेकल ने प्रथम और द्वितीय विश्व हिंदी सम्मेलनों में सक्रिय सहयोग किया था। भारतीय धर्म-संस्कृति में उनकी विशेष अभिरुचि थी ।
उनकी विशेष अभिरुचि का विषय आधुनिक भारत था। आधुनिक भारत प्राचीन भारत का ही एक विकसित रूप है, इसलिए इसे जानने और समझने के लिए इसके समृद्ध स्वर्णिम अतीत की जानकारी प्राप्त करना बहुत आवश्यक है। स्मेकल इस सच्चाई को अच्छी प्रकार समझते थे। वे हिंदी भाषा और साहित्य से शैक्षणिक तथा रुचिगत धरातल से जुड़े थे। हिंदी भाषा ही भारत को जानने का प्रमुख माध्यम था, लेकिन फिर भी वे इस बहुभाषी और बहुजातीय राष्ट्र की अन्य भाषाओं और क्षेत्रीय सांस्कृतिक विविधताओं की ओर से कभी भी उदासीन नहीं रहे। वास्तव में उनके अंदर भारत को गहराई से जानने तथा समझने की उत्कट लालसा थी। इसकी अभिव्यक्ति हमें उनके निबंधों तथा कविताओं में होती है।
पुरस्कार : भारत सरकार द्वारा इन्हें विश्व हिंदी पुरस्कार (1979 ई.) द्वारा सम्मानित किया गया। साहित्यिक रचनाएँ : ओदोलेन स्मेकल की प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं-
अनुवाद : चेक से हिंदी और हिंदी से चेक भाषाओं में अनेक अनुवाद |
निबंध : इस प्रकार आधुनिक हिंदी कविता का संकलन, प्रेमचंद का गोदान, भारतीय लोक-कथाएँ, ये देवता कहाँ से आए, भारत के नवरूप ।
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सूर्य
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वहां वह सूर्य है जो चमकता है। तो सूर्य आखिर है क्या? वेदों में इसे एक पहिए वाले सुनहरे रथ पर सवार देवता कहा गया है, जिसे सात शक्तिशाली घोड़े पलक झपकते ही 364 लीग की रफ्तार से दौड़ाकर ले जाते हैं। वह अपने रथ पर सवार होकर आसमान में घूमता रहता है और संसार की हर गतिविधि पर नजर रखता है।
किसने इसे बनाया, जिस पर धरती पर मौजूद जीवन पूरी तरह से निर्भर है? क्या यह मरता हुआ विशाल तारा है या कोई वैज्ञानिक चमत्कार या वाकई सूर्य देवता है जो वेदों की साकार आत्मा है और जो त्रिदेव का प्रतिनिधित्व करता है दिन में ब्रह्मा, दोपहर में शिव और शाम में विष्णु ।
भारतीय पौराणिक गाथाओं के अनुसार सूर्य के माता-पिता थे अदिति और कश्यप । अदिति के आठ बच्चे थे। आठवाँ बच्चा अंडे की शक्ल का था। इसलिए उसका नाम रखा मार्तंड यानी मृत अंडे का पुत्र और उसका परित्याग कर दिया। वह आसमान में चला गया और खुद को वहाँ महिमामंडित कर लिया।
दूसरा किस्सा यह है कि अदिति ने एक बार अपने पहले सात पुत्रों से कहा कि वे ब्रह्मांड का सृजन करें। किंतु ये इसमें असमर्थ रहे। क्योंकि वे सिर्फ जन्म को जानते थे, मृत्यु को नहीं। जीवन चक्र स्थापित करने के लिए अमरत्व की जरूरत नहीं थी, सो अदिति ने मार्तंड से कहा। उन्होंने फौरन दिन और रात का सृजन कर दिया जो जीवन और मृत्यु के प्रतीक थे।
यह घटना भी प्रतीकात्मक है। अदिति का अर्थ है अखंडित ऋग्वेद में अदिति के लिए 'अद्वय' और 'सदावृध'
शब्दों का भी इस्तेमाल हुआ है। अद्वय का अर्थ है जो दो न हों और सदावृध का अर्थ है जो सदा बढ़ता रहे।
Related Questions
1. वेदों में सूर्य को क्या कहा जाता है?
Ans- एक पहिए वाले सुनहरे रथ पर सवार देवता।
2. भारतीय पौराणिक गाथाओं के अनुसार सूर्य के माता-पिता का क्या नाम है?
Ans- अदिति और कश्यप
3. अदिति के आठवें बच्चे की शक्ल कैसी थी?
Ans- अंडे की शक्ल जैसी ।
4. अदिति के कितने बच्चे थे?
Ans- आठ बच्चे।
5. ऋग्वेद में अदिति के लिए किन शब्दों का प्रयोग हुआ है?
Ans- अद्वय और सदावृध ।
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इनका विवाह विश्वकर्मा की पुत्री सख्यु या संज्ञा से हुआ, जिनसे इन्हें तीन बच्चे हुए मनु वैवस्वत (सूर्यवंश के संस्थापक), यम (मृत्यु का देवता) और यमुना (नदी)। किंतु सूर्य का तेज संज्ञा की बर्दाश्त के बाहर था। इसलिए उसने अपनी छाया को सूर्य के पास छोड़ दिया और अश्विनी यानी घोड़ी का रूप धर कर तप करने चली गई। लंबे अर्से तक छाया ने संज्ञा के छद्म रूप का बखूबी अभिनय किया लेकिन अंत में उसका भेद खुल ही गया। छाया से उन्हें शनि, सावर्णि मनु और तपत्ति नामक पुत्र उत्पन्न हुए।
ये सूर्य के सात घोड़ों वाले रथ को हाँकते हैं। सूर्य के सारथि का नाम है अरुण संज्ञा के प्रेम में पागल सूर्य उसे सारे ब्रह्मांड में ढूँढ़ते रहे। सूर्य ने अश्व का रूप धारण किया और उनके पास पहुँच गए। संज्ञा के उनसे दो बच्चे हुए जिन्हें अश्विनी कुमार कहा जाता है-एक का नाम नासत्य और दूसरे का दन है। उधर विश्वकर्मा ने सूर्य की आभा के अंश को काट डाला और उससे विष्णु का सुदर्शन चक्र, शिव का त्रिशूल,यम का दंड, स्कंद का भाला और कुबेर की गदा तैयार की। विष्णु के सातवें अवतार थे राम, जिनका जन्म सूर्यवंश में हुआ था। सूर्य की पूजा बारहों महीने होती है। हर महीने में उनका अलग नाम है। चैत्र में धाता, वैशाख में अर्यमा, ज्येष्ठ में मित्र, आषाढ़ में वरुण, श्रावण में इंद्र, भाद्रपद में विवस्वान, आश्विन में पूषा, कार्तिक में में भग, माघ में त्वष्टा और फाल्गुन में विष्णु । ऋतु, , मार्गशीर्ष में अंशु, पौष
सूर्य के कई काम हैं और हर काम पर उनका अलग नाम है। सविता के रूप में वे हर वस्तु को उत्प्रेरित करते । पूषण के रूप में कल्याण करते हैं। उगता सूर्य वैवस्वत कहलाता है। जबकि भग उनका दुष्ट रूप है।
Related Questions
1. विश्वकर्मा की पुत्री का क्या नाम था ?
Ans- सख्यु या संज्ञा ।
2. संज्ञा के कितने पुत्र उत्पन्न हुए?
Ans- चार पुत्र ।
3. सूर्य के सारथि का क्या नाम है?
Ans- अरुण
4. उगता सूर्य क्या कहलाता है?
Ans- वैवस्वत।
5. विष्णु जी के सातवें अवतार का नाम क्या है?
Ans- राम, जिनका जन्म सूर्यवंश में हुआ था
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कहते हैं कि याज्ञवल्क्य ऋषि ने सीधे सूर्य से ही वेद की शिक्षा ग्रहण की थी। अरुणाचल प्रदेश की एक जनजाति सूर्य की ही पूजा करती है और उसे स्त्री मानती हैं क्योंकि वही सृजन का स्रोत है।
सूर्य की आराधना कई तरह से की जाती है। उसे जाग्रत करने के लिए कई तरह के प्रतीकों का भी इस्तेमाल किया जाता है। गरुड़ को सूर्य मानकर उसकी पूजा की जाती है क्योंकि वह साँप का शिकार करता है। साँप यानी अंधकार। गरुड़ उसे खा जाता है। सूर्य अंधकार को खा जाता है। इसलिए गरुड़ सूर्य का प्रतीक आ खिले हुए कमल को भी सूर्य समझा जाता है। लेकिन सर्वाधिक लोकप्रिय प्रतीक है स्वस्तिक, जो कि किसी न किसी रूप में सारी दुनिया में पूजित है। भारत में कई सूर्य मंदिर हैं, जिनमें कोणार्क का सूर्य मंदिर मशहूर है।
लगता है इंसान में चेतना जागने के साथ-साथ सूर्य की उपासना भी शुरू हो pi*f । प्राचीन व बीलोन, ईरान या ग्रीक रोमन सभ्यता-सभी में सूर्य देवता पूजे जाते थे।
सन् 1925 में सर जेम्ज जी. फ्रजर ने 'प्राचीन आर्यों की सूर्य पूजा' नामक अपनी पुस्तक में साबित कर दिया
या कि जहाँ कहीं भी आर्य गए अपने साथ सूर्य पूजा को भी लेते गए।
प्राचीन मिस्र में तो सूर्य को जबर्दस्त प्रतिष्ठा हासिल थी। पूर्वोन्मुख स्फिक्स उगते सूर्य का प्रतीक है, जिसे हर्षाकुस या होरूस कहा जाता था। फारस के लोग सूर्य को मिथरा कहते थे, जो सुरक्षा, प्रसन्नता, दया, विजय और दुख हरता था। ई. पू. पाँचवीं सदी में यह फारस के लोगों का मुख्य देवता बन गया था। धीरे-धीरे मध्यपूर्व से यूरोप तक मिधराई धर्म फैल गया। रोम साम्राज्य का यही मुख्य धर्म था।
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1.अरुणाचल प्रदेश की जनजाति किसकी पूजा करती है?
Ans-. सूर्य की।
2. सूर्य देवता कहाँ पूजे जाते थे?
Ans- प्राचीन मिस्र, बेबीलोन, ईरान आदि।
3. फारस के लोग सूर्य को क्या कहते हैं?
Ans- मिथरा
4. भारत में कार्य का सूर्य मन्दिर मशहूर है?
Ans- कोणार्क का
5. मध्यपूर्व से यूरोप तक कौन-सा धर्म फैल गया था? Ans- मियराई धर्म
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असीरियाई, आकेदी, फिनिशियाई, ग्रीक और रोमन लोगों के भी मुख्य देवता सूर्य ही थे। असीरियाई उसे मीरोदाक, आकेदी उसे बाआई, फिनिशियाई उसे अपोलो कहते थे।
मैक्समूलर ने लिखा है कि वैदिक ऋचाओं में धीरे-धीरे सूर्य के प्रकाशमान तारा से बदलकर सर्जक, संरक्षक और शासक में तब्दील हो जाने के क्रमशः विकास को देखा जा सकता है। सूर्य सब कुछ देखता और जानता है, इसलिए उससे आग्रह किया जाता है कि जो कुछ सिर्फ उसने देखा और जाना है उसे क्षमा करके भूल जाए। वह चाहे इंद्र हो या वरुण, सावित्री या थी। आज हमें जो कविता लगती है वह वैदिक भारत का गद्य था। होमर ने भी सूर्य देवता को देवताओं का हाईपीरीअन पिता कहा था, जिसने अपनी बहन थीआ से विवाह किया था। अफ्रीका में हमेशा से सूर्य पूजा होती आई है। मेक्सिको और पेरू में स्पेनियों ने सूर्य पूजक संप्रदायों को देखा था ।
'जेंद अवेस्ता' में सूर्य को 'हवर' कहा गया है जो संस्कृत शब्द 'स्वर' का फारसी समरूप सूर्य के लिए ग्रीक 'शब्द है 'होलीओस' जो इसी मूल से आया है। सूर्य को अहुरमज्दा की आँख और तेज घोड़ा कहा गया है-"जब सूर्य उगता है, अहुर द्वारा बनाई गई धरती और बहता पानी, कुओं का पानी, समुद्र का पानी और स्थिर पानी सभी निर्मल हो जाते हैं..."।
प्राचीन ग्रीक भी मानते थे कि सूर्य देव हीलीऔस आसमान में तेज घोड़ों से चलने वाले अपने स्वर्ण रथ पर सवार होकर घूमते रहते हैं। वैसे प्राचीन और आधुनिक काल में ग्रीक देवता अपोलो को सूर्य देवता माना जाता रहा है।
1. सूर्य किन-किन लोगों के मुख्य देवता थे?
Ans- फिनिशियाई, रोमन, असीरियाई, आऊंदी, ग्रीक लोगों
2. सूर्य देवता को देवताओं का हाईपीरीअन पिता किस व्यक्ति ने कहा था?
Ans- होमर ने
3. 'जेंद अवेस्ता' में सूर्य को क्या कहा जाता है।
Ans- हवर
4. प्राचीन और आधुनिक काल में ग्रीक देवता अपोलो को क्या माना जाता रहा है?
Ans- सूर्य देवता।
5. सूर्य के लिए ग्रीक शब्द क्या है?
Ans- हीलीऔस
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सर जेम्ज जी. फ्रेजर के अनुसार सूर्य की उपासना मूल आर्य धर्म में प्रमुखता से होती थी। मिथरावादी मानते थे कि सूर्य के रथ को चार घोड़े चलाते हैं।
रोम सम्राट ऑरीलिया ने पूर्व की विद्रोही रानी जीनोंबिआ को परास्त करके बंदी बना लिया तो उसकी खूबसूरत राजधानी पामीरा को तो ध्वस्त कर दिया गया लेकिन वहाँ के सूर्य मंदिर को आलीशान बनवा दिया। क्योंकि 'सूर्य देव अजेय हैं।'
ईसाई धर्म ने मिथराइयों की धार्मिक अवधारणाओं को अमान्य घोषित किया। किंतु उनसे बहुत कुछ लिया भी, जैसे 25 दिसंबर को क्रिसमस मनाना। पहले वे इसे 6 जनवरी को मनाते थे। मिथराइयों के अनुसार सूर्य का जन्म दिन 25 दिसंबर था, जिसे वे धूमधाम से मनाते हर मिथक में सूर्य योद्धाओं के देवता रहे हैं। प्राचीन मिस्री चित्रों में शरद के सूर्य के सिर पर सिर्फ एक केश को दिखाया गया है। क्योंकि वे इस ऋतु में कमजोर पड़ जाते हैं। लेकिन गर्मी के मौसम में ताकतवर हो जाते हैं। सिर मुड़ाने की प्रथा भी प्राचीन काल से चली आ रही हैं। पहले सूर्य की प्रतिष्ठा में सिर मुड़ाया जाता था।
ऋग्वेद ने सूर्य को ईश्वर की सबसे खूबसूरत दुनिया कहते हुए सलाह दी है कि, "इस दैविक सूर्य की संप्रभुता का हम आदर करें।" वेदों में सूर्य को ऊर्जा और प्रकाश का अक्षय भंडार और धरती पर जीवन का संचालक बताया गया है। रामायण
में अगस्त्य मुनि ने राम से कहा था कि वे 'आदित्य हृदय' स्तोत्र के जरिए सूर्य की उपासना करें। सम्राट हर्षवर्धन के
दरबारी कवि मयूर ने सूर्य की प्रशंसा में 'सूर्य शतकम्' की रचना की थी, जिसका पाठ करने से उसका अंधापन खत्म हो गया था।
Related Questions
1. मिथराबादी का सूर्य के प्रति क्या मानना है?
Ans- सूर्य के रथ को चार घोड़ चलाते हैं।
2. किस धर्म ने विचराइयों की धार्मिक अवधारणाओं को अमान्य घोषित किया था?
Ans- ईसाई धर्म ने
3. मिथराइयों के अनुसार सूर्य का जन्म कब हुआ था? Ans- 25 दिसंबर को।
4. वेदों में सूर्य के बारे में क्या बताया गया है?
Ans- ऊर्जा और प्रकाश का अक्षय भंडार ।
5. आवेद ने ईश्वर की सबसे खूबसूरत दुनिया किसे माना है?
Ans- सूर्य को
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प्राचीन भारत में सूर्य मंदिरों को आदित्य गृह कहा जाता था। ई. पू. 400 में तेसिअस नामक यात्री भारत आया था। उसने पश्चिम भारत में सूर्य पूजा का विवरण दिया है। श्रीनगर के पास मार्तंड में एक प्राचीन सूर्य मंदिर के भग्नावशेष मिले हैं। पाकिस्तान के मुल्तान में भी एक सूर्य मंदिर के खंडहर हैं। दक्षिण भारत के मंदिरों में मौजूद तालाब को सूर्य तीर्थम् या सूर्य पुष्करिणी कहा जाता है।
सूर्य की विधिवत पूजा अब सिर्फ बिहार में ही बड़े पैमाने पर होती t_{1} दीपावली के छठे दिन षष्ठी व्रत या छठ के नाम vec R लोकप्रिय यह पूजा काफी कड़े व्रत और नियमों के साथ की जाती है। नियम में प्रवेश चौथे दिन, पाँचवें दिन लोहंडा, छठे दिन शाम के वक्त डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य और सातवें दिन सुबह को उगते सूर्य को दूसरा और अंतिम अर्घ्य के साथ यह त्योहार संपन्न होता है। अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने के लिए सूर्य को नमस्कार करने का यह अनूठा पर्व आर्य और वैदिक संस्कृति को अक्षुण्ण बनाए हुए है।
● वैसे आर्य नाम से एक जाति के कुछ लोग अभी भी अफगानिस्तान में मौजूद हैं, जो इंद्र, अग्नि, सूर्य की एक वैदिक रीति से ही उपासना करते हैं। अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर फ्रंटियर के पास काफिरिस्तान नामक इलाका है, जहाँ अभी भी आर्यों की आबादी रहती है जो सूर्य की पूजा करती है।
Related Questions
1. प्राचीन भारत में सूर्य मंदिरों को क्या कहा जाता था?
Ans- आदित्य गृह
2. सूर्य की विधिवत पूजा किस राज्य में होती है?
Ans- केवल बिहार में।
3. सूर्य मंदिर का खंडहर कहां है?
Ans- पाकिस्तान के मुल्तान में।
4. आर्य नाम की जाति के कुछ लोग अभी भी कही मौजूद हैं?
Ans- अफगानिस्तान में।
5. दक्षिण भारत के मंदिरों में मौजूद तालाब को क्या कहा जाता है?
Ans- सूर्य तीर्थम् वा सूर्य पुष्करिणी
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Question Answer
प्रश्न 1. वेदों में सूर्य के संबंध में क्या कहा गया है? पाठ के आधार पर उत्तर दें।
उत्तर- वैदिक ब्रह्ममय में सूर्य को देवता का स्थान प्रदान किया गया है। इसे एक पहिए वाले सुनहरे रथ पर सवार देवता बताया गया है। इस रथ का सात शक्तिशाली घोड़े पलक झपकते ही 364 लीग की रफ्तार से दौड़ाकर ले जाते हैं। अपने रथ पर सवार होकर सूर्य सम्पूर्ण आकाश में भ्रमण करता रहता है और संसार की हर गतिविधि पर नजर रखता है। वेदों में उसे ऊर्जा और प्रकाश का अक्षय भंडार बताते हुए पृथ्वी पर जीवन का संचालक भी कहा गया है।
प्रश्न 2. भारतीय पौराणिक गाथाओं के अनुसार सूर्य के माता-पिता कौन थे? पाठ में सूर्य के जन्म के संबंध में दो कयाओं का उल्लेख है, उन्हें संक्षेप में लिखें।
उत्तर- भारतीय पौराणिक गाथाओं के अनुसार सूर्य के माता-पिता अदिति और कश्यप थे। उनके जन्म के विषय में दो कथाएँ प्रचलित हैं- पहली कथा के अनुसार अदिति के आठ बच्चे थे। आठवाँ बच्चा अंडे के आकार का होने के कारण मार्तंड कहलाया और परित्यक्त हुआ। वह आकाश में चला गया और वहाँ स्वयं को महिमामंडित कर लिया। सूर्य के जन्म से संबंधित दूसरी कथा यह है कि अदिति ने एक बार अपने पहले सात पुत्रों से ब्रह्मांड का सृजन करने को कल, पर वे सातों ऐसा करने में असमर्थ रहे। तब उसने मार्तंड से कहा और उन्होंने तत्क्षण दिन और रात का सृजन कर वैसा कर दिखाया।
प्रश्न 3. दिन और रात किसके प्रतीक हैं?
उत्तर- पाठ के अनुसार दिन और रात क्रमशः जीवन और मृत्यु के प्रतीक
प्रश्न 4. संज्ञा कौन थी? छाया से उसका क्या संबंध है? दोनों की संतानों के नाम लिखें।
उत्तर- भारतीय पौराणिक गाथाओं के अनुसार संज्ञा (सख्य) विश्वकर्मा की पुत्री थी। सूर्य का तेज सहन न कर पाने के कारण उसने अपनी छाया को सूर्य के पास छोड़ दिया और खुद अश्विनी (घोड़ी) का रूप धारण कर तप करने चली गई। लम्बे समय तक छाया संज्ञा का छद्म रूप घरे अभिनय करती रही, लेकिन अंततोगत्वा उसका भेद खुल गया। तब संज्ञा के प्रेम में पागल हो चुके सूर्य संपूर्ण ब्रह्मांड में उसे खोजते रहे और अंततः अश्य का रूप धारण कर संज्ञा के पास पहुँच गये।
सूर्य के संपर्क से छाया को चार पुत्र शनि, सावर्णि, मनु, और तपत्ति हुए जो सूर्य के सात घोड़ों वाले रथ को खींचते हैं तथा संज्ञा से उनके दो बच्चे हुए, जिन्हें अश्विनी कुमार कहा जाता है। इनमें से एक का नाम नासत्य और दूसरे का दख है।
प्रश्न 5. विश्वकर्मा ने सूर्य की आषा के अंश को काट कर किन वस्तुओं का निर्माण किया?
उत्तर- विश्वकर्मा ने सूर्य की आभा के अंश को काटकर उससे शिव का त्रिशूल, विष्णु का सुदर्शन चक्र, यम का दंड, सफेद का माता और कुबेर की गदा तैयार की।
प्रश्न 6. वर्ष के बारहों महीनों के आधार पर सूर्य के अलग-अलग नाम हैं। महीनों के नाम के साथ उन नामों को लिखें। साथ इन बारहों के तद्भव-देशी नाम भी लिखें।
उत्तर- वर्ष के बारह महीनों के आधार पर सूर्य के अलग-अलग नाम और उन बारहों महीनों के तद्भव-देशी नाम निम्न प्रकार है।
वर्ष के महीनों के नाम. सूर्य का नाम। देसी नाम
1. चैत्र - धाता चैत
2. वैशाख - अर्यमा बैसाख
3.ज्येष्ठ - मित्र जेठ
4. आषाढ़ - वरुण आसाढ़
5. श्रावण - इंद्र सावन
6. भाद्रपद विवस्वान भादों
7. आश्विन पूषा आसिन
8. कार्तिक क्रतु कार्तिक
9. मार्गशीर्ष अंशु अगहन
10. पौष भग पूस
11.माघ त्वष्टा माघ
12. फाल्गुन विष्णु फागुन
प्रश्न 7. पाठ में सूर्य के कई कार्यों की जानकारी दी गई उन कार्यों के आधार पर सूर्य के लग-अलग नाम इनका
सूची बनाएँ।
उत्तर- 'सूर्य' नामक इस पाठ में लेखक ने सूर्य को उसके कार्यों के आधार पर अलग-अलग नाम दिए हैं, जो निम्नलिखित है
(i) 'सविता' के रूप में सूर्य हर वस्तु को कार्य करने को उत्प्रेरित करते हैं।
(ii) 'पूपण' के रूप में वे विश्व कल्याण का कार्य करते हैं।
(iii) संसार को प्रकाश एवं ऊर्जा प्रदान करने के कारण उगता सूर्य 'वैवस्वत' कहलाता है।
प्रश्न 8. विभिन्न देशों और समाजों में सूर्य के अलग-अलग नाम प्रचलित हैं। नीचे एक सूची दी जा रही है। उसमें रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।
उत्तर- देश/ समाज सूर्य के नाम
प्राचीन मिस्र हर्माकुस या होरुस
फारस मियरा
असीरिया मीरोदाक
फिनिशिया अपोलो
प्रश्न 9. रोम सम्राट ऑरीलिया ने सूर्य मंदिर को क्यों नष्ट नहीं किया?
उत्तर- रोम सम्राट ऑरीलिया ने इस मान्यता के कारण कि 'सूर्य देव अजेय हैं सूर्य मंदिर को नष्ट नहीं किया, बल्कि उसे और ज्यादा भव्य और विशाल बनवा दिया।
प्रश्न 10. मियराइयों के अनुसार सूर्य का जन्म दिवस कब है?
उत्तर- मिथराइयों के अनुसार सूर्य का जन्मदिवस 25 दिसम्बर है।
प्रश्न 11. प्राचीन गिखी चित्रों में शरद् के सूर्य के सिर पर सिर्फ एक केस दिखाया जाता है। क्यों ?
उत्तर- प्राचीन मिस्री चित्रों में शरद् के सूर्य के सिर पर सिर्फ एक केश इसलिए दिखाया जाता है क्योंकि इस ऋतु में सूर्य कमजोर पड़ जाते हैं।
प्रश्न 12. सूर्य मंदिर के अवशेष भारत-पाकिस्तान में कहां-कहां मिले हैं?
उत्तर- सूर्य मंदिर के अवशेष भारत के श्रीनगर के पास मार्तंड नामक स्थान पर मिले हैं। पाकिस्तान के मुल्तान में भी सूर्य मंदिर के कुछ अवशेष हैं। साथ ही दक्षिण भारत के मंदिरों में मौजूद तालाब को सूर्य तीर्थम् या सूर्य पुष्करणी कहे जाने से वहाँ किसी समय सूर्य मंदिर होने का साक्ष्य प्रकट करते हैं।
प्रश्न 13. मैक्समूलर ने सूर्य के संबंध में क्या लिखा है?
उत्तर- सुप्रसिद्ध पाश्चात्य विद्वान मैक्समूलर ने सूर्य के विषय में महत्त्वपूर्ण जानकारी देते हुए लिखा है कि वैदिक ऋचाओं में धीरे-धीरे सूर्य के प्रकाशमान तारा में बदलकर सर्जक, संरक्षक तथा शासक में बदल जाने में विकास के रूप में देखा जा सकता। है। चूँकि सूर्य सब कुछ देखता और जानता है अतः उससे आग्रह किया जाता है कि जो कुछ सिर्फ उसने देखा और जाना है उसे क्षमा करके भूल जाए।
प्रश्न 14. राम ने शक्ति प्राप्त करने के लिए किस स्तोत्र का पाठ किया था?
उत्तर- रामायण के अनुसार अगस्त्य मुनि की सलाह पर राम ने शक्ति प्राप्त करने के लिए 'आदित्य हृदय' नामक स्तोत्र का पाठ किया था।
प्रश्न 15, अद्वय और सदावृप शब्दों के क्या अर्थ है?
उत्तर-ऋग्वेद में प्रयुक्त अद्वय तथा सदावृध शब्दों के अर्थ क्रमशः जो दो न हों और जो सदा बढ़ता रहे हैं।
प्रश्न 16. मयूर कवि कौन थे? उनकी रचना का क्या नाम है?
उत्तर- मयूर कवि सम्राट हर्षवर्धन के दरबारी कवि थे। उनकी रचना का नाम 'सूर्यशतकम्' है। ऐसी मान्यता है कि इसके पाठ से उनका अंधापन दूर हो गया था।
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