Current Electricity Class 12 || MCQ on Current Electricity || विधुत धारा

 current electricity class 12

इस पोस्ट में हमलोग Current electricity के all topic को cover करने वाले हैं 

 विद्युत धारा (Current Electricity)

विद्युत् धारा- किसी चालक में विद्युत् आवेश के प्रवाह की दर को विद्युत् धारा कहते हैं।
                                    Or
The charge continuous flow through the cross sectional area is known as electric current.

>Electric current can be follow through any medium but it should be conducting .
Eg - solid, liquid ,gas

>Electric current is scalar quantity it has magnitude and direction ,but it does not follow triangular law of addition 

>It will be follow opposite to follow of electron or I will be follow along the direction of proton

>It is rate of flow of charge per unit time .
l.e I= charge Flow/time taken
      I = Q/t
S.I unit = Coulomb/SC. Or Ampere
Dimension - [A]

1. विद्युत् धारा की दिशा धन आवेश की गति की दिशा की ओर मानी जाती है। 
2. इसका SI मात्रक एम्पीयर है। 
3. यह एक अदिश राशि है ।

> एक एम्पीयर विद्युत् धारा - 
                                     यदि किसी चालक तार में एक एम्पीयर (1Aविद्युत् धारा प्रवाहित हो रही है तो इसका अर्थ है, कि उस तार में प्रति सेकेण्ड 6 * 2 * 10 ^ 18 इलेक्ट्रॉन एक सिरे से प्रवाहित होते हैं तथा इतने ही इलेक्ट्रॉन दूसरे सिरे से बाहर निकल जाते हैं ।

> One ampere electric current - If one ampere (1A) electric current is flowing in a conducting wire, it means that 6 * 2 * 10 ^ 18 electrons enter that wire per second from one end. 


> प्रतिरोध (Resistance ) — किसी चालक में विद्युत् धारा के प्रवाहित होने पर चालक के परमाणुओं तथा अन्य कारकों द्वारा उत्पन्न किए गये व्यवधान को ही चालक का प्रतिरोध कहते हैं। इसका (SI) मात्रक ओम  होता है।

> Resistance — When an electric current flows in a conductor, the interference created by the atoms and other factors of the conductor is called the resistance of the conductor. Its (SI) unit is Ohm.

> ओम का नियम (Ohm's law ) – यदि चालक की भौतिक अवस्था जैसे—ताप आदि में कोई परिवर्तन न हो तो चालक के सिरों पर लगाया गया विभवान्तर उसमें प्रवाहित धारा के अनुक्रमानुपाती होता है। यदि किसी चालक के दो बिन्दुओं के बीच विभावन्तर V वोल्ट हो तथा उसमें प्रवाहित धारा । एम्पियर हो, तो ओम के नियमानुसार-

V Proportional to I

V = RI जहाँ R एक नियतांक है, जिसे चालक का प्रतिरोध कहते हैं।

 > ओमीय प्रतिरोध (ohmic resistance)-  जो चालक ओम के नियम का पालन करते हैं, उनके प्रतिरोध को ओमीय प्रतिरोध कहते हैं। जैसे—मैगनीज का तार।

> अनओमीय प्रतिरोध (non-ohmic resistance)—जो चालक ओम के नियम का पालन नहीं करते हैं, उनके प्रतिरोध को अनओमीय प्रतिरोध कहते हैं, जैसे—– डायोड बल्ब का प्रतिरोध, ट्रायोड बल्ब का प्रतिरोध ।

>चालकता (Conductance ) — किसी चालक के प्रतिरोध के व्युत्क्रम को चालक का  चालकता कहते है। इसे G से सूचित करते हैं (G = 1/R)। इसकी SI इकाई ओम (Omega ^ - 1) होता है, जिसे मोह भी कहते है। (SI इकाई सीमेन भी होता है।

> विशिष्ट प्रतिरोध (specific resistance ) — किसी चालक के विशिष्ट प्रतिरोध के व्युत्क्रम को चालक का विशिष्ट चालकता कहते हैं। इसे Sigma  से सूचित करते हैं (Sigma = 1/p)। इसकी SI इकाई  (Omega ^ - 1 * m ^ - 1) होती है।

किसी चालक का प्रतिरोध उसकी लम्बाई के अनुक्रमानुपाती तथा उसके अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है, 

अर्थात् यदि चालक की लम्बाई / और उसकी अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल A है, तो— जहाँ rho एक नियतांक, है जिसे चालक का वि० प्रतिरोध कहा जाता है। अतः, एक ही पदार्थ के बने हुए मोटे तार का प्रतिरोध कम तथा पहले तार का प्रतिरोध अधिक होता ह

 R = rho * L/A

> प्रतिरोधों का संयोजन (combination of resistance)-  सामान्यतः प्रतिरोधों का संयोजन दो प्रकार से होता है— (i) श्रेणी क्रम (Series combination) में; (ii) समानान्तर क्रम (Parallel combination) में ।


> श्रेणीक्रम में संयोजित प्रतिरोधों का समतुल्य प्रतिरोध समस्त प्रतिरोधों के योग के बराबर होता है।

> समानान्तर क्रम में संयोजित प्रतिरोधों के समतुल्य प्रतिरोध का व्युत्क्रम (Inverse ) . उनके प्रतिरोधों के व्युत्क्रमों के योग के बराबर होता है।

> विद्युत् शक्ति (Electric power ) — विद्युत् परिपथ में ऊर्जा के क्षय होने की दर को शक्ति कहते हैं। इसका SI मात्रक वाट होता है।

> किलोवाट घंटा मात्रक अथवा यूनिट-1 किलोवाट घंटा मात्रक अथवा एक यूनिट विद्युत् ऊर्जा की वह मात्रा है, जो कि किसी परिपथ में एक घंटा में व्यय होती है, जबकि परिपथ में 1 किलोवाट की शक्ति हो ।

> आमीटर (Ammeter) विद्युत् धारा को एम्पीयर में मापने के लिए आमीटर नामक यंत्र का प्रयोग किया जाता है। इसे परिपथ में सदैव श्रीणीक्रम में लगाया जाता है। > एक आदर्श आमीटर का प्रतिरोध शून्य होना चाहिए।

> वोल्टमीटर (Voltameter) वोल्टमीटर का प्रयोग परिपथ के किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर मापने में किया जाता है। इसे परिपथ में सदैव समानान्तर क्रम में लगाया जाता है।

> एक आदर्श वोल्टमीटर का प्रतिरोध अनन्त होना चाहिए

> विद्युत् फ्यूज (Electric fuse ) — विद्युत् फ्यूज का प्रयोग परिपथ में लगे उपकरणों की सुरक्षा के लिए किया जाता है, यह ताँबा, टिन व सीसा की मिश्र धातु का बना होता है। यह सदैव परिपथ के साथ श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है ,इसका गलनांक कम होता है।

> शुद्ध फ्यूज टिन का बना होता है।

 > गैल्वेनोमीटर (Galvanometer ) — विद्युत् परिपथ में विद्युत धारा की उपस्थिति बताने वाला एक यंत्र है। इसकी सहायता से 10 ^ - 6 ऐम्पियर तक की विद्युत् धारा को मापा जा सकता है।

>शंट का उपयोग—–शंट एक अत्यन्त कम प्रतिरोध वाला तार होता है, जिसे गैल्वेनोमीटर के समान्तर क्रम में लगाकर आमीटर बनाया जाता है।

> गैल्बोनोमीटर के श्रेणी क्रम में एक उच्च प्रतिरोध लगाकर वोल्टमीटर बनाया जाता है।

 ट्रासफॉर्मर (Transformer)– विद्युत् चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर कार्य करने वाला यह एक ऐसा यंत्र है, जो उच्च A.C. वोल्टेज को निम्न A. C. वोल्टेज में एवं निम्न A. C. वोल्टेज को उच्च A. C. वोल्टेज में बदल देता है। यह केवल प्रत्यावर्ती धारा (A.C.) के लिए प्रयुक्त किया जाता है।

> ए० सी० डायनेमो (या जनरेटर ) – यह यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित करता है। यह विद्युत् चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर कार्य करता है।

> विद्युत् मोटर (Electric motor) – यह एक ऐसा यंत्र है, जो विद्युत् ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदल देता है। यह विद्युत् चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर कार्य नहीं करता है। 

> माइक्रोफोन—यह ध्वनि ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित करता है। माइक्रोफोन विद्युत् चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर आधारित होता है।

 प्राथमिक शक्ति स्टेशनों पर जो विद्युत्-धारा उत्पन्न होती है, वह प्रत्यावर्ती धारा होती है तथा उसकी वोल्टता 22000V या इससे अधिक हो सकती है। ग्रिड उपस्टेशन ट्रासफॉमर्स की सहायता से वोल्टता बढ़ा देते हैं, जो 132000V तक भी हो सकती है, ताकि विद्युत् संचरण में विद्युत् ऊर्जा का क्षय बहुत कम हो ।

# mobility - it is define as the drift velocity per unit electric field and it is given 
         Mobility= Vd / E




#law of neutrality of wire during flow of electric current -
Statement

(a) according to this law the current carrying wire will be neutral at all cross section 

(b) consider portion of wire between S1 and S2 the number of electron remains constant during the flow of current for this current must have same value at all cross section of wire 

1. Kirchhoff's junction low- the net current flowing towards in any electrical junction will equal to the net current following a away from the junction 

>That is incoming current equal to outgoing current.

>It is based on conservation of charge and law of neutrality of wire during flow current.

किरचॉफ के जंक्शन नियम के अनुसार किसी संधि पर प्रवेश करने वाले धाराओं का बीजगणितीय योग उस संधि या जंक्शन से निकलने वाली धाराओं के बीजगणितीय योग के बराबर होनी चाहिए 

>यह नियम आवेश के संरक्षण सिद्धांत पर आधारित है
 
2. Kirchhoff's loop law /mosh law - in any close loop from the given electrical circuit the total algebraic sum of potential difference will equal to zero 

>It is based on conservation of energy .

किरचॉफ लूप नियम के अनुसार किसी विद्युत परिपथ के बंद लूप के विभवांतर का गणितीय योग शून्य होता है

>यह नियम ऊर्जा के संरक्षण सिद्धांत पर आधारित होता है 
Electric Bulb 💡 Concept

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Current electricity all formula







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