Class 12th Chemistry Objective Question in Hindi || Chemistry Objective Questions Class 12 , ठोस अवस्था (Solid State)

12th Class Chemistry 

Chapter- 01 ठोस अवस्था - 

Solid State 

इस पेज में हमलोग ठोस अवस्था चैप्टर का सभी महत्वपूर्ण टाॅपिक के साथ - साथ Objective and Subjective Question को देखने वाले हैं

------------------------------------------------------

  Solid State - ठोस अवस्था 

------------------------------------------------------

ठोस(Solid)--
                   पदार्थ की वह भौतिक अवस्था जिसका आकार एवं आयतन दोनों नश्चित हो ठोस कहलाता है जैसे लोहे की छड़ ,लकड़ी की कुर्सी ,बर्फ का टुकड़ा आदि

Types of Solid

1.Crystalline(क्रिस्टलीय ठोस या वास्तविक ठोस, रवादार ठोस)
2.Amorphous (अक्रिस्टलीय ठोस ,बेरवादार ठोस आभासी ठोस और अतिशितित द्रव

➡️ क्रिस्टलीय ठोस को ही रवादार ठोस कहा जाता है
➡️ अक्रिस्टलीय ठोस को बेरवादार ठोस कहा जाता है


1. क्रिस्टलीय ठोस- 
                            वैसा Solid जिसके अवयवी कण एक नियमित ज्यामितीय आकृति में सजे होते हैं उसे क्रिस्टलीय ठोस कहते हैं जैसे लोहा ,तांबा ,सोना,Al, Zn-------etc

गुण-- 
1. इनके कण नियमित रूप से सजे होते हैं
2. यह वास्तविक ठोस होता है
3. इसका गलनांक निश्चित होता है
4. यह दीर्घपराश्री व्यवस्था वाला होता है
5. यह विषम दैशिक होता है


2. अक्रिस्टलीय ठोस- 
                             वैसा Solid जिसके अवयवी कण एक नियमित ज्यामितीय आकृति में सजे नहीं होते हैं उसे अक्रिस्टलीय ठोस कहते हैं जैसे - रबर, रेशा, शीशा, प्लास्टिक। 

गुण-- 
1. इनके कण नियमित रूप से सजे नहीं होते हैं
2. यह आभासी ठोस होता है
3. ताप के एक परास पर यह नरम हो जाता है
4. यह लघुपराश्री व्यवस्था वाला होता है
5. यह सम दैशिक होता है

Q. क्रिस्टलीय ठोस और अक्रिस्टलीय ठोस के गुणों के आधार पर आप इस दोनों में अंतर कर सकते हैं - vvi

Types of crystalline solid

1. Metallic solid -- metal
2. Ionic solid- metal + nonmetal
3. Covalent solid- कार्बन से संबंधित सभी योगिक 
                                Exception - Alan ,Sic

4. Molecular solid- जिस solid में liquid और gas मिलकर एक solid का निर्माण करता हो

Liquid+ gas--- solid

Q . कांच को अतिशितित द्रव क्यों कहा जाता है?
Ans- अतिशितित द्रव वह होता है जो अत्यंत मंद गति से बहता है एवं जिस में होने वाले परिवर्तन हजारों वर्षों में परिलक्षित होता है कांच भी अत्यंत मंद गति से बहकर अपने निचले भाग को सापेक्षिक मोटा बना लेता है इसीलिए कांच को अतिशितित द्रव कहा गया

क्रिस्टलीय जालक एवं एकक कोष्ठिका 
Crystal lattice and unit cell

➡️Space में solid के अवयवी कणों के नियमित त्रिविमीय व्यवस्था को ही Crystal lattice कहते हैं
➡️ क्रिस्टल जालक के smallest part को ही unit cell कहते हैं

➡️ Unit cell के 6 पैरामीटर होते हैं 

Types of unit cell

1. Primitive unit cell (आध एकक कोष्ठिका)
2. Centred unit cell ( केंद्रित एकक कोष्ठिका)


Types of Centred unit cell 


1. Body centred unit cell (अंतः केंद्रित एकक कोष्ठिका)
2. Face centred unit cell ( फलक केंद्रित एकक कोष्ठिका)
3. End centred unit cell(अंत्य केंद्रित एकक कोष्ठिका)

# side और angle के आधार पर कुल 7 प्रकार के unit cell होते हैं
1. इसमें हम लोग सिर्फ (cubic) घनीय संरचना के बारे में पढ़ते हैं
 
Note - क्रिस्टल जालक जिसे ब्रेवे जालक के नाम से से भी जानते हैं की संख्या 14 है 

# Unit cell मे अवयवी कणों की संख्या : →

Sc. Simple Cube →

Bcc- Body Centred cube →

FCC - face Centred cube

1.corner पर उपस्थित अवयवी कण 8 unit cell के द्वारा  सहभाजित होता है अतः एक unit cell मे उसका योगदान 1/8 होगा

2.face पर उपस्थित अवयवी कण दो unit cell के द्वारा सहभाजित होता है अत: एक unit Cell मे उसका योगदान 1/2 होता है।

3. Side पर उपस्थित अवयवी कण -चार mit cell के द्वारा सहभाजित होता है अतः एक unit cell मे उसका योगदान 1/4 होता है।

(निविड संकुलित संरचना)Close Packed structure

ठोस के अवयवी कण का वैसा संरचना जिसमे दो अवयती कण के बीच कम से कम space हो उसे close packed Structure कहते हैं।

2- D से

3-D में

Packing efficiency ( संकुलन क्षमता)-- 

किसी unit cell मे अवयवी कणों के द्वारा भरे हुए Space को ही Packing efficiency कहते हैं

P.E= कुल अवयवी कणों का volume×100
_______________________________________
             unit cell का volume

Simple cubic का संकुलन क्षमता- 52% और 
                                        रिक्ति % - 48%
BCC  का संकुलन क्षमता- 68% और 
                                        रिक्ति % - 32%

FCC  का संकुलन क्षमता- 74%% और 
                                        रिक्ति % - 26%

Defects in solid ( ठोस में दोष) या Imperfections in solid (ठोस में अपूर्णत:)----

जब क्रिस्टलीकरण की प्रक्रिया तीव्र होती है तो ठोसों के अवयवी कणों के नियमित व्यवस्था में अनियमितता आ जाती है इसे ही ठोस में दोष का उत्पन्न हो जाना कहते हैं इसे Crystal defect के नाम से भी जानते हैं 
➡️Crystal defect दो प्रकार के होते हैं
1. बिन्दु दोष (point defect)--
                                              वैसा दोष जिसमें एक क्रिस्टलीय पदार्थ में एक बिंदु अथवा एक परमाणु के चारों ओर की आदर्श व्यवस्था में अनियमितताएं अथवा विचलन आ जाता है वह बिंदु दोष कहलाते हैं 

2.रेखीय दोष (line defect) --- 
                                                 वैसा दोष जिसमें जालक बिंदुओं की पूर्ण पंक्तियों की व्यवस्था में अनियमितताएं अथवा विचलन आ जाते हैं तो उसे हम रेखीय दोष करते हैं 


 बिन्दु दोष (point defect) के प्रकार
1. Stoichiometric defect - 
2. Non - stoichiometric defect -
3. Impurity defect - 


1. Stoichiometric defect दो प्रकार के होते हैं
(1) रिक्तिका दोष - 
                          इसमें अवयवी कण अपने स्थान से गायब हो जाता है इसके कारण ठोस का घनत्व कम हो जाता है प्रायः यह ठोस को गर्म करने पर उत्पन्न होता है 
(2) अंतराकाशी दोष - 
                              इसमें अतिरिक्त अवयवी कण अंतर स्थान पर पाए जाते हैं इसके कारण घनत्व बढ़ जाता है
NOTE - Ionic solid में दो प्रकार के Stoichiometric defect होते हैं

1. शाॅटकी दोष (Schottky defect) --
                                                        यह एक प्रकार का रिक्ति दोष है इसमें आयन संख्या में cation एवं anion अपने स्थान से गायब हो जाता है जिसके कारण ठोस का घनत्व कम हो जाता है 
                              या प्रायः तब होता है जब cation एवं anion का आकार लगभग समान हो eg - Nacl ,Kcl , Cscl ,AgBr
2. Frenkel defect - 
                                   इसमें अवयवी कण अपने स्थान से गायब होकर अंतरकाश स्थान पर चले जाते हैं इसके कारण ठोस के घनत्व पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है यह दोष तब उत्पन्न होता है जब cation एवं anion के आकार में काफी अंतर हो eg - Zns, Agcl ,AgBr ,AgI

# Non Stoichiometric defect के प्रकार
1. Metal excess defect(धातु अधिक्य दोष)
2. Metal deficiency defect (धातु न्यूनता दोष )

1. धातु अधिक्य दोष -- इसमें क्रिस्टल के सतह पर metal जमा होकर अंदर वाले negative आयन को आकर्षित करता है एवं सतह पर ही योगिक का निर्माण करता है जिससे नेगेटिव आयन के स्थान पर electron रिक्ति बन जाता है इसे F कद्र कहते हैं जो क्रिस्टल के रंग में परिवर्तन कर देता है
Eg - Li की अधिकता से Licl का रंग गुलाबी, K की अधिकता से Kcl का रंग बैंगनी ,Na की अधिकता से Nacl का रंग पीला हो जाता है
2.धातु न्यूनता दोष-- 
                            इस दोष के कारण धातु की मात्रा अपेक्षाकृत कम हो जाती है कुछ यौगिक जैसे Feo में यह दोष पाया जाता है जिसके कारण उसका अनुसूत्र  Fe0.95o हो जाता है 


(3) Impurity defect(अशुद्धता दोष) - इसमें बाहरी अशुद्ध पदार्थ क्रिस्टल में प्रवेश कर जाते हैं ,eg - Nacl क्रिस्टल में Srcl2 नामक अशुद्धि का मिलना , 

# Difference between Schottky and frenkel defect

    Schottky defect        
1. इस दोष मे धनायन तथा ऋणायन अपने जालक स्थलों से पूर्णतः हट जाते है तथा धनायन एवं ऋणायन संख्या मे परस्पर बराबर होता है।

2.इस दोष से क्रिसल का घनत्व कम जाता है।

3.यह दोष अधिक उप-संयोजक) संख्या वाले प्रबल आयन क्रिस्टलो मे पाया जाता है।

4.इस दोष मे क्रिस्तलो के बनने पर क्रिस्टल का स्थायित्व बढ़ता है। तथा विद्युत चालकता बढ़ती है।


Frenkel defect

1.इस दोष मे एक आयन अपने जालक बिंदु को छोड़कर अंतराकाशी स्थान मे आ जाता है।

2.इस दोष मे परिवर्तन नही होता है।

3.यह दोष उन क्रिस्टलो मे पाया जाता है जिनकी उपसहसंयोजन संख्या निम्न तथा घनायन का आकार, ऋणायत से कम होता है

4. इस दोष के कारण क्रिस्टल का  स्थायित्व घटता है तथा परावैद्युत चालकता बढ़ता है।
इसमें Valence band एवं Condition band एक दूसरे पर अध्यारोपित होते हैं जिससे Valence band का election आसानी से conduction band में पहुंच जाता है जिसके फलस्वरुप यह विद्युत का चालन करता है 


इसमें V.B एवं C.B के बीच छोटा F.B होता है गर्म करने पर कुछ इलेक्ट्रॉन V.B से F.B को पार कर C.B में पहुंच जाता है फलस्वरुप यह आंशिक रूप से विद्युत का चालन करता है 

इसमें बैलेंस बैंड( V.B) एवं कंडक्शन बैंड(C.B) के बीच बहुत बड़ा फॉरवर्डन  (f.B)बैंड होता है जिससे बैलेंस बैंड का इलेक्ट्रॉन पाकर कंडक्शन बैंड में नहीं पहुंच पाता है फल स्वरुप या विद्युत का चालन नहीं करता है 
Question.
Dipping ( अपमिश्रण)-
                                    अर्धचालको में अशुद्धि को मिलाकर उसके चालकता को बढ़ाया जाता है इसी प्रक्रिया को डोपिंग कहते हैं 

                              अशुद्धि
1. इलेक्ट्रॉन  घनी अशुद्धि(electron rich impurity)
2.इलेक्ट्रॉन न्यून अशुद्धि ( electron difficiency impurity)

eg- group number 15 वाला element
 n-type अर्द्धचालक कहलाता है

eg - group no-13 वाला element
P-type अर्द्धचालक कहलाता है


             Magnetic property 
(1) अनुचुम्बकीय
2.प्रतिचुम्बकीय
3.लौह चुम्बकीय  
4.प्रति लौह चम्बकीय
5. फेरी चुम्बकीय

1) अनुचुम्बकीय -- चुम्बकीय क्षेत्र की ओर दुर्बल रूप से आकर्षित , क्योंकि इसमें Unpaired electron के उपस्थिति होती है

(i) प्रति चुम्बकीय : →1. चुम्बकीय क्षेत्र की ओर दर्बल रूप से प्रतिकर्षित ,
2. Unpaired electron के अनुपस्थिति के कारण

(ii)लौह चुम्बकीय -- चुम्बकीय क्षेत्र की ओर प्रबल रूप से आकर्षित 
2.सभी डोमेन एक ही दिशा मे,

(3)प्रति लौह चुम्बकीय :-  न तो आकर्षित न ही प्रतिकर्षित ,आधा समांतर एवं आधा प्रतिसमांतर दिशा में व्यवस्थित 

(4) फेरी चम्बकीय :- लौह-चम्बकीय पदार्थ के तुलना मे दुर्बल रूप से आकर्षित , समांतर एवं प्रति समांतर दिशा के डोमेन की संख्या मे अंतर के कारण

→ डोमेन :--→ अणु का वह समूह जिसका चुम्बकीय गुण एक ही दिशा मे कार्य करता है।

 MOST IMPORTANT QUESTION
1. शॉटकी दोष से आप क्या समझते हैं?
2. फ्रेंकल दोष से आप क्या समझते हैं?
3.शॉटकी दोष और फ्रेंकल दोष में अंतर स्पष्ट करें 
4. बिंदु दोष से आप क्या समझते हैं?

















एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Join
WhatsApp Logo