Motion in a Plane Short Question Answer in Hindi || Class 11th Physics समतल में गति Question Answer

समतल में गति (Motion in a Plane) Chapter का Short Question Answer 
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अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर


प्रश्न 1. अदिश राशियाँ क्या हैं ?
उत्तर—वे राशियाँ जिनमें केवल परिमाण होता है, दिशा नहीं होती है, अदिश राशियों कहलाती हैं। और यह बीजगणितीय नियम का पालन करता है ,जैसे—द्रव्यमान, लम्बाई, आयतन, घनत्व, समय, ऊष्मा, कार्य, ऊर्जा, विद्युतधारा, आवेश आदि ।

प्रश्न 2. सदिश राशियाँ क्या हैं ?
उत्तर—वे राशियाँ जिनमें परिमाण और दिशा दोनों होते हैं, सदिश राशियाँ कहलाती हैं और यह त्रिभुज के जोड़ के नियम का पालन करता है। जैसे—बल, वेग, त्वरण, मंदन, विस्थापन, बल-आघूर्ण, चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता, चुम्बकीय आघूर्ण आदि ।

प्रश्न 3. सदिश का मापांक या परिमाण क्या होता है ?
उत्तर- किसी सदिश के परिमाण की माप को प्रकट करने वाली घन संख्या को उसका मापांक कहते हैं । सदिश a के मापांक को | vector a | द्वारा व्यक्त किया जाता है । इसे मोड Vector a पढ़ा जाता है । किसी सदिश राशि का मापांक एक अदिश राशि होती है । 

प्रश्न 4. स्थिति सदिश की परिभाषा दें ।
उत्तर- किसी क्षण किसी बिंदु वस्तु का स्थिति सदिश वह सदिश है जिसका परिमाण मूल बिंदु से वस्तु की दूरी के बराबर तथा जिसकी दिशा, मूल बिंदु से देखे जाने पर बिन्दु वस्तु की दिशा में होती है ।

प्रश्न 5. विस्थापन सदिश क्या है ?
उत्तर- विस्थापन सदिश वह सदिश है जो यह बतलाता है कि किसी समय से अन्य समय-तक वस्तु में कितना और किस दिशा में विस्थापन होता है ।

प्रश्न 6. समान सदिश की परिभाषा लिखें । 
उत्तर- दो सदिश समान सदिश तभी कहलाते हैं जब उनके परिमाण तथा दिशा दोनों समान होते हैं ।

प्रश्न 7. सदिशों के योग का त्रिभुज नियम क्या है ?
उत्तर—यदि दो सदिश परिमाण और दिशा में एक त्रिभुज की दो संलग्न भुजाओं द्वारा एक क्रम में प्रदर्शित किए जाएँ तो उनका परिणामी सदिश परिमाण तथा दिशा में त्रिभुज की तीसरी भुजा द्वारा विपरीत क्रम में प्रदर्शित होता है ।

प्रश्न 8. सदिशों के योग का समान्तर चतुर्भुज नियम क्या है ?
उत्तर—यदि दो निश्चित सदिशों को किसी समान्तर चतुर्भुज की दो आसन्न भुजाओं द्वारा परिमाण और दिशा में निरूपित किया जाए तो उनका परिणामी सदिश उस विकर्ण से निरूपित होता है जो उन भुजाओं के कटान बिंदु से होकर गुजरता है ।

प्रश्न 9. दो से अधिक सदिशों के योग के लिए किस नियम का उपयोग किया जाता है ?
उत्तर- सदिशों के योग का बहुभुज नियम । 

प्रश्न 10. शून्य सदिश क्या है ?
उत्तर— शून्य सदिश वह सदिश है जिसका परिमाण शून्य होता है| इसकी दिशा अनिश्चित या स्वेच्छ होती है तथा इसके पाद या शीर्ष सम्पाती होते हैं। किसी सदिश में इसके जोड़ने या घटाने पर मूल शून्य सदिश प्राप्त होता है। किसी वास्तविक संख्या में इसके गुण करने पर गुणनफल भी शून्य सदिश होता है साथ ही शून्य से गुणा करने पर भी गुणनफल शून्य सदिश होता है।




प्रश्न 11. एकक सदिश क्या है ?
उत्तर- एकक सदिश उस सदिश को कहते हैं जिसका मापांक एकांक(1) होता है । 

प्रश्न 12. क्या सदिशों का योग क्रम-विनिमेय नियम का पालन करता है ?
उत्तर—हाँ, सदिशों का योग क्रम-विनिमेय नियम का पालन करता है।

प्रश्न 13. सदिशों का योग क्या साहचर्य नियम का पालन करता है ?
उत्तर- हाँ, सदिशें का योग साहचर्य नियम का पालन करता है 

प्रश्न 14. सदिशों का अदिश गुणनफल क्या है ?
उत्तर- किसी दो सदिशों का अदिश गुणनफल उनके परिमाणों और उनके बीच के कोज्या कोण के गुणनफल के बराबर होता है। दो सदिशों का अदिश गुणनफल सदैव अदिश होता है। जैसे— कार्य शक्ति W= vec F * vec S = FS * cosA

प्रश्न 15. सदिशों का सदिश गुणनफल क्या है ?
उत्तर- किसी दो सदिशों का सदिश गुणनफल उनके परिमाणों, बीच के ज्या कोण तथा एकक सदिश के गुणनफल के बराबर होता है। दो सदिशों का सदिश गुणनफल सदिश होता है। जैसे—-बल-आघूर्ण = vec r * vec F 

प्रश्न 16. क्या एक सदिश समय के साथ परिवर्तित हो सकता है ? 
उत्तर- हाँ, गैस के अणु का वेग समय का फल हैं।

प्रश्न 17. दो सदिशों का योग कब अधिकतम और न्यूनतम होता है ?
उत्तर—दो सदिशों का योग एक ही दिशा में कार्यरत होने पर अधिकतम तथा विपरीत दिशा में कार्यरत होने पर न्यूनतम होता है ।

प्रश्न 18. दो सदिश कब परस्पर लम्बवत् होते हैं ? 
उत्तर—दो सदिश का जब अदिश गुणनफल शून्य होता है तो वे परस्पर लम्बवत होते हैं
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             लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर


प्रश्न 1. अदिश एवं सदिश में विभेद करें ।
उत्तर—अदिश एवं सदिश में अन्तर :- 
                                                  राशियाँ जो एक संख्या एवं मात्रक (unit) द्वारा पूर्णत: शेष रूप से उल्लिखित की जा सकती हैं और इसलिए जिसे केवल परिमाण (संख्यात्मक या निरपेक्ष मान) है, अदिश कहलाती हैं। समय, लंबाई, द्रव्यमान, घनत्व, ऊर्जा एवं ताप कुछ भौतिक राशियाँ हैं जो अदिश हैं ।

अदिशों का योग या गुणनफल भी एक अदिश होता है। व्यापक रूप में, अदिशों के साथ कोई भी बीजीय संक्रिया अदिश देती है।

सदिश राशियाँ वे हैं जिन्हें परिमाण एवं दिशा दोनों होते हैं और जो त्रिभुज या समांतर चतुर्भुज विधि के अनुसार जोड़ी जाती हैं। विस्थापन, वेग, त्वरण, बल एवं चुम्बकीय प्रेरण कुछ भौतिक राशियाँ हैं जो सदिश हैं । सदिश का परिमाण अदिश होता है और यह हमेशा धनात्मक होता है।

दो अदिशों का योग एक सदिश होता है किंतु उनका गुणनफल एक अदिश अथवा एक सदिश हो सकता है। सदिशों के लिए 'योग' अथवा 'गुणा' की संक्रिया संगत बीजीय संक्रिया से अलग होती है।

प्रश्न 2. सदिश कैसे निरूपित किया जाता है ? शून्य एवं उचित सदिश क्या है ? 
उत्तर—आरेख पर सदिश का निरूपण करने के लिए एक बाण (तीर) खींचा जाता है । बाण की लंबाई सदिश के परिमाण के अनुपात में चुनी जाती है, अर्थात् एक स्केल चुना जाता है और बाण की दिशा सदिश की दिशा में चुनी जाती है, बाणाग्र दिशा को अभिदिशा देता है।

लिखावट में, सदिश का निरूपण उसके संकेत के ऊपर बाण चिह्न द्वारा होता है, जैसे— a के ऊपर तीर और बिना बाण का वही संकेत उसका परिमाण सूचित करता है, जैसे – a,  छपाई में, सदिश का निरूपण मोटे में उसके संकेत द्वारा होता है, जैसे—a और तिरछे में वही संकेत उसका परिमाण सूचित करता है, जैसे- कभी-कभी सदिश के परिमाण को सूचित करने के लिए सदिश के लिए संकेत के दोनों ओर एक-एक ऊर्ध्वाधर रेखा रखी जाती है, जैसे |a|

सदिश जिसका परिमाण शून्य है, शून्य सदिश कहलाता है, जैसे— a शून्य सदिश है जब |a| = 0 और सदिश जिसका परिमाण शून्य नहीं है, उचित या वास्तविक सदिश कहलाता है।

प्रश्न 3. समरेख सदिश, समतलीय सदिश, मुक्त सदिश, सर्पण सदिश और स्थानीकृत सदिश क्या है ?
उत्तर—समांतर सरल रेखाओं के अनुरेख दिष्ट (समान या विपरीत दिशाओं में) संदिशों को समरेख सदिश कहते हैं। समरेख सदिश एक ही सरल रेखा के अनुरेख व्यवस्थित किए जा सकते हैं। समांतर समतलों में सदिशें को समतलीय सदिश कहते हैं। समतलीय सदिश समांतर स्थानांतरण द्वारा एक समतल tilde 4 लाए जा सकते हैं। परिमाण में बराबर और समान दिशावाले समरेख सदिश परस्पर बराबर समझे जाते हैं । इसका अभिप्राय तथाकथित उचित मुक्त सदिश से होता है।

सदिश जो आकाश में किसी बिंदु से खींचे जा सकते हैं, मुक्त सदिश कहलाते हैं । सदिश जिनकी पूँछ (आदि-बिंदु) सरल रेखा पर जिसके अनुरेख सदिश दिष्ट है, किसी बिंदु पर रखी जा सकती है, सर्पण सदिश कहलाते हैं। सदिश जो एक निश्चित बिंदु पर लगाए गए हैं, स्थानीकृत सदिश कहलाते हैं । सर्पण सदिश और स्थानीकृत सदिश मुक्त सदिशों के जरिए व्यक्त किए जा सकते हैं। यही कारण है कि सदिश कलनशास्त्र मुक्त सदिश की संकल्पना पर आधारित है, मुक्त सदिश प्रायः केवल सदिश कहलाता है ।
प्रश्न 4. अभिकेन्द्र बल क्या है ?

उत्तर- जब भी कोई पिण्ड किसी वृत्तीय पथ पर नियत चाल से गति करता है तो उस पर हमेशा एक बल क्रियाशील होता है जिसकी दिशा त्रैज्यतः वृत्त के केन्द्र की ओर होती है। इसी बल को अभिकेन्द्र बल कहते हैं। इसी बल के कारण पिण्ड में अभिकेन्द्र त्वरण उत्पन्न होता है ।

अभिकेन्द्र बल (F) = mv^2 / r

यह बल वेग की दिशा बदलता है जबकि अन्य बल वेग के परिमाण बदलने के कारण होते हैं। यह बल वेग की दिशा के लम्बवत् होता है, इसीलिए यह वेग का परिमाण नहीं बदल सकता है ।

उदाहरण- (a) इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर वृत्तीय कक्षा में परिक्रमा करते हैं । इलेक्ट्रॉन तथा नाभिक के बीच कार्य करने वाला आकर्षण बल ही इलेक्ट्रॉन को वृत्तीय पथ पर गति करने के लिए आवश्यक अभिकेन्द्र बल प्रदान करता है।

(b) उपग्रह पृथ्वी के चारों तरफ एक वृत्तीय कक्ष में परिक्रमा करते हैं। उपग्रह तथा पृथ्वी के बीच कार्य करने वाला गुरुत्व बल ही उपग्रह को आवश्यक अभिकेन्द्र बल प्रदान करता है।

(c) यदि किसी डोरी के एक सिरे पर एक पिण्ड को बाँधकर दूसरे को हाथ से पकड़कर वृत्त में घुमाया जाता है तो डोरी में उत्पन्न तनाव बल ही आवश्यक अभिकेन्द्र बल क्षैतिज प्रदान करता है ।

प्रश्न 5. अपकेन्द्र बल से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर—घूर्णी निर्देश फ्रेम में उत्पन्न जड़त्व बल जड़त्व का अपकेन्द्र बल या केवल अपकेन्द्र बल कहलाता है। अपकेन्द्र बल घूर्णी निर्देश फ्रेम में पिण्ड पर लगता है, चाहे पिण्ड इस फ्रेम में स्थिर हो या अपेक्षिक वेग (v) के साथ चल रहा हो । अपकेन्द्र बल एक छद्म बल या कल्पित बल है, क्योंकि वास्तविक बल पिण्ड पर सीधे नहीं लगता है। यह बल अपकेन्द्र बल के परिमाण में बराबर होता है।
अर्थात्
F = (m * v ^ 2)/r 

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