बिहार बोर्ड Class 11th Hindi
Chapter -5 चलचित्र
लेखक- सत्यजीत राय
बिहार बोर्ड कक्षा- 11वी हिंदी दिगंत भाग-01 चैप्टर चलचित्र का लेखक परिचय, सारांश, प्रश्न उत्तर
लेखक परिचय
1.सत्यजीत राय का जन्म 1921 ई. में गड़पार रोड दक्षिणी कोलकाता, पश्चिम बंगाल में हुआ।
2.उनकी माता का नाम श्रीमती सुप्रभाराय तथा पिता का नाम श्री सुकुमार राय था।
3.उनकी प्रारंभिक शिक्षा नाना के यहाँ हुई तथा 1996 में इन्होंने हाई स्कूल की परीक्षा पास की।
प्रेसिडेंसी कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त कर शांति निकेतन पहुँचे, जहाँ से ललित कला की शिक्षा अर्जित की।
4.साहित्यिक रचनाएँ फिल्में (बंगला): पथेर पांचाली, अपराजितो, जलसाघर, अपुर संसार, महानगर, कंचनजंगा, चारुलता, नायक, अरण्येर दिन-रात्रि, गोपी गायन वाघाबायन, प्रतिद्वंद्वी, सीमाबद्धो, आगंतुक, जनअरण्य, घरे-बाहिरे आदि (हिंदी) सद्गति, शतरंज के खिलाड़ी।
5.साहित्य (हिन्दी अनुवाद) प्रो. शंक के कारनामे कुछ कहानियाँ, जहाँगीर की स्वर्णमुद्रा, कुछ और कहानियाँ (कथा साहित्य) चलचित्र : कल और आज (निबंध) आदि।
6.सत्यजित राय भारतीय सिनेमा के शिखर पुरुष तो थे ही साथ ही वे विश्व सिनेमा के महान निर्देशकों के बीच की एक दुर्लभ विभूति भी थे। उन्होंने बंगला जैसी सीमित क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा में अपनी फिल्में बनाकर भी विश्व सिनेमा में गौरवास्पद ख्याति अर्जित की। सत्यजित राय की फिल्मों ने पूरी दुनिया के सिनेप्रेमियों का ध्यान अपनी ओर खींचा। ये फिल्में मानव जाति के रिश्तों, हर्ष-विषाद, मनोवेगों, द्वंदों, संघर्षों आदि के बारे में, एक सीमित समाज के माध्यम से उसकी सामयिक वास्तविकता को लेकर, बहुत कुछ कहती हैं।
7.सम्मान एवं पुरस्कार : विश्व सिनेमा के सर्वश्रेष्ठ सम्मान 'आस्कर पुरस्कार' से सम्मानित । सिनेमा, साहित्य एवं चित्रकला के क्षेत्र असाधारण योगदान के लिए 'भारत रत्न' से सम्मानित । अनेक बंगला, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित ।
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अभ्यास प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. क्या लेखक ने चलचित्र को शिल्प माना है? चलचित्र को शिल्प न मानने वाले इस पर क्या आरोप लगाते हैं?
उत्तर- चलचित्र शिल्प है अथवा नहीं इसे लेकर लोगों के अपने अलग-अलग विचार हैं। इसे शिल्प न मानने वालों के अनुसार इसकी अपनी कोई निजी सत्ता नहीं है। यह पाँच प्रकार के शिल्प साहित्य से मिश्रित एक पंचमेल बेढब वस्तु है। लेकिन विश्वविख्यात निर्माता-निर्देशक सत्यजीत राय ने चलचित्र को शिल्प के अंतर्गत ही रखा है। सत्यजीत राय के अनुसार, जिस प्रकार एक लेखक द्वारा कहानी की रचना होती है, ठीक उसी प्रकार फिल्म-निर्माता के द्वारा बिंब और शब्दों की। इन दोनों के संयोग से जो भाषा बनती है, उसके उपयोग में यदि कुशलता का अभाव रहे तो फिर एक अच्छी फिल्म कभी नहीं बन सकती है। इसलिए यह शिल्प भी है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि सारी गड़बड़ी 'शिल्प' शब्द के कारण ही हुई है। इसे शिल्प के बजाय भाषा कहना अधिक उचित है। उनके अनुसार, यह ठीक है कि चलचित्र में विभिन्न शिल्प साहित्यों के लक्षण होते हैं तथापि यह उन सबसे भिन्न और विशिष्ट है।
प्रश्न 2. चलचित्र एक भाषा है। यह किन दो चीजों के संयोग से बनती है। लेखक ने इस भाषा के प्रयोग में किस चीज की अपेक्षा रखी है और क्यों?
उत्तर - चलचित्र एक भाषा है। यह बिंब (इमेज) तथा शब्द (खण्ड) से बनी है। लेखक का मानना है कि चलचित्र को शिल्प कहने में गड़बड़ी पैदा होती है। इसलिए चलचित्र को शिल्प न कहकर भाषा कहा जाए तो चलचित्र का स्वरूप और भी ज्यादा स्पष्ट हो जाएगा और तर्क की कोई भी गुंजाइश ही न रहेगी। चलचित्र में जहाँ पात्र मूक रह कर अपना दुख प्रकट करता रहता है तो साउंड के द्वारा उसके दुख को भी प्रकट किया जा सकता है, जो लेखक के अनुसार चलचित्र की ही भाषा है।
प्रश्न 3. चलचित्र में विभिन्न शिल्प साहित्य के लक्षण किस प्रकार समाहित हैं?
उत्तर- चलचित्र एक ऐसा शिल्प है, जिसमें विभिन्न शिल्प साहित्यों के लक्षण समाहित रहते हैं। इसमें नाटक का द्वंद्व संगीत की गति एवं छंद, उपन्यास का कथानक तथा परिवेश-वर्णन, कविता की भावमयता, पेंटिंग सुलभ प्रकाश छाया की व्यंजन आदि वस्तुओं को स्थान मिल चुका है।
प्रश्न 4. चलचित्र निर्माण कार्य को मोटे तौर पर किन पर्यायों में विभक्त किया जाता है। प्रत्येक का संक्षिप्त परिचय दें।
उत्तर- चलचित्र निर्माण कार्य को निम्नलिखित तीन पर्यायों में विभक्त किया जाता है।
(i) चलचित्र नाट्य रचना (सिनेरिओ) यह फिल्म का फलक होता है। बिंब तथा ध्वनि के माध्यम से परदे पर जो भी व्यक्त होता है, वह उसका लिखित संकेत है।
(ii) उस चलचित्र नाट्य के अनुसार विविध परिवेशों का चुनाव (लोकेशन) अथवा निर्माण (सेट्स) करके उन परिवेशों में चरित्रों के अनुसार ही लोगों से अभिनय कराकर उनका चित्र लेना (शूटिंग) ।
(iii) इन खंड-खंड रूपों में लिए गए चित्रों को चलचित्र के अनुसार ही पंक्तिबद्ध सहेजना (एडिटिंग) तब चलचित्र बनता है।
प्रश्न 5. शॉट्स किसे कहते हैं?
उत्तर- एक फिल्म के अंतर्गत उसके विभिन्न भागों को एक ही दृष्टिकोणों से न दिखाकर तोड़-तोड़कर अलग-अलग दृष्टिकोणों से दिखाया जाता है। इन्हीं खंडों को 'शॉट्स' कहते हैं।
प्रश्न 6. 'पथेर पांचाली' किसका उपन्यास है? पाठ में 'पथेर पांचाली' के जिस कथा अंश का उल्लेख है, उसका सारांश लिखें।
उत्तर- 'पथेर पांचाली' विभूति भूषण बंद्योपाध्याय द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध उपन्यास है। प्रस्तुत पाठ 'पथेर पांचाली' जिस कथा अंश का वर्णन हुआ है, उसका सारांश यह है- उपन्यास का नायक हरिहर विदेश गया हुआ था जब वह विदेश से अपने देश लौटकर आता है तो अपने घर के निकटत स्टेशन पर उतरता है और पैदल ही रास्ते पर इधर-उधर ध्यान दिए बिना चलने लगता है। वह घर जल्दी से जल्दी पहुंचना चाहता है। घर की दीवार पर बैसवाड़ी से गिरा बाँस देखकर यह झुंझला उठता है तथा इससे उत्पन्न मुसीबत के लिए भुवन याचा पर बड़बड़ाता है। घर के आँगन में पहुँचकर अभ्यासवश वह प्यार भरे स्वर में अपनी बेटी दुर्गा और बेटे अपू को बुलाता है। आवाज सुनकर उसकी पत्नी सर्वजया बाहर निकलकर आती है तथा उसके हाथ से गठरी लेकर उसे अंदर आने को कहती है। घर का कुशल-मंगल पूछने पर सर्वजया शांत तथा गंभीर बनी रहती है। हरिहर के मन में बच्चों के लिए अनेक भाव हिलोरे मार रहे होते है। यह बच्चों को अपनी लाई वस्तुएँ दिखाकर आश्चर्यचकित कर देना चाहता है। वह पुनः दुर्गा और अपू के विषय में पूछता है। इस पर सर्वजया स्वयं को रोक नहीं पाती और रोते हुए उसे दिवंगत पुत्री के मरने का शोक समाचार सुनाती है।
प्रश्न 7. चलचित्र में हरिहर अपने घरवालों के लिए कौन-कौन-सी चीजें लाता है?
उत्तर- चलचित्र में हरिहर अपने परिवार वालों के लिए धारीदार साड़ी, आलते की शीशी, 'कालकेतु उपाख्यान', 'सचित्र यही माहात्म्य', शीशे से मढ़ा लक्ष्मी जी का पट टीन की रेलगाड़ी, कटहल की लकड़ी का चकला बेलन आदि लाया था।
प्रश्न 8. दुर्गा की मृत्यु किस कारण से हुई?
उत्तर- दुर्गा चैत की पहली बारिश में भीगने के कारण बीमार पड़ जाती है। इसी बीमारी से उसकी मृत्यु हुई थी।
प्रश्न 9. हांड़ी के ढक्कन का उठना-गिरना किस बात को दिखाने में सहायक हुआ है? इसे 'क्लोज अप' में क्यों दिखाया गया है?
उत्तर- हांड़ी के ढक्कन का उठना-गिरना सर्वजया की उदास और निराश दृष्टि को दिखाने में सहायक सिद्ध हुआ है। और इन सबको निकट से दिखाए बिना समझना काफी मुश्किल होता है, इसीलिए 'क्लोज अप' में दिखाया गया है। सिर से कमर तक के हिस्से को 'क्लोज अप कहा जाता है।
प्रश्न 10. शंख की चूड़ी के कंपन से क्या महसूस करा दिया गया है?
उत्तर- चलचित्र में सर्वजया के हाथों में पहनी हुई शंख की चूड़ी के कंपन द्वारा दर्शकों को उसके हृदय के कंपन का अहसास कराया गया है।
प्रश्न 11. सर्वजया का पानी ढालना, पीड़ा से आना, अंगोछा ले आना, खड़ाऊँ ले आनाये सभी कार्य-व्यापार दर्शकों पर कैसा प्रभाव छोड़ते हैं? और क्यों?
उत्तर- प्रस्तुत चलचित्र में हरिहर के प्रश्नों के जवाब में कुछ ना कहकर उसकी पत्नी सर्वजया द्वारा पानी का ढालना, अंगोछा ले आना, पीढ़ा ले आना, खड़ाऊँ ले आना आदि कार्य व्यवहार दर्शकों की अधीरता बढ़ा देते हैं। दर्शक सोचने लगते हैं कि हरिहर को यह दुखद समाचार कब तथा कैसे मालूम होगा। दर्शक तो दुर्गा की मृत्यु की हृदयविदारक घटना के बारे में जानते हैं लेकिन हरिहर अपने बच्चों (दुर्गा और अपू) के विषय में यह सोच रहा है कि वे बाहर कहीं खेलने गए हैं।
प्रश्न 12. सर्वजया की रुलाई की आवाज का अंकन किस तरह किया गया और इसमें क्या सावधानी रखी गई?
उत्तर-रुलाई की आवाज में एक प्रकार की वीमत्सता होती उसका परिहार करने के उद्देश्य से ही इस दृश्य में स्वाभाविक स्वर के स्थान पर तार-तार शहनाई के तार-सप्तम में पटदीप राग से एक करुण स्वर की अभियोजना की गई। मानो यह सब रुलाई में ही शामिल हैं। इससे करुण रस फलीभूत हो गया है। इस शॉट में यही सावधानी विशेष रूप से रखी गई कि इसमें करुण रस की संगीत के अतिरिक्त किसी भी आवाज को प्रयोग में नहीं लाया गया था।
प्रश्न 13. सत्यजित राय ने चलचित्र को 'भाषा' कहा है। क्या आप ऐसा मानते हैं? क्या स्वयं सत्यजित राय 'भाषा' के अनुरूप बिंब (इमेज) और शब्द (साउंड) का संयोजन चलचित्र के निर्देशन में कर पाते हैं? अपना मत दें।
उत्तर- सत्यजित राय ने चलचित्र को 'भाषा' कहा है। उनका ऐसा कहना एकदम सही है। हाँ, सत्यजित राय ने स्वयं भाषा के अनुरूप बिव (इमेज) और शब्द (साउंड) का संयोजन चलचित्र के निर्देशन में किया है। प्रस्तुत पाठ में 'पथेर पांचाली' चलचित्र में उन्होंने बिंब और सांउड का समायोजन किया है। इसमें लोग शॉट, क्लोज शॉट, मिड शॉट तथा संगीत का सहारा लेकर एक सफल फिल्म का निर्माण किया।
एक उदाहरण - अपू तेल से भरी एक बोतल हाथ में लिए खड़ा है। हरिहर (नेपथ्य में) बेटी दुर्गा अपू ठिठककर खड़ा हो जाता है-नितांत असहाय, हतप्रभ कैमरा द्रुतगति से 'ट्रक फारवर्ड' कर अपू के चेहरे की ओर बढ़ जाता है।
इसके साथ ही तार शहनाई संगीत 'फेड आउट कर जाता है। इससे सिद्ध होता है कि उन्होंने कैमरे के साथ-साथ संगीत को जोड़ा जिससे बिब तथा साउंड से चलचित्र की भाषा बनी।
इससे पहले के 4 Chapter- का Link-
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